शुक्रवार, 26 सितंबर 2008

रायगढ के सात आश्चर्य


विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष

मानव सभ्यता के विकास के सबसे प्रारंभिक चिन्ह दिखाने के लिये विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर मै आपको रायगढ के ७ आश्चर्यों की सैर कराता हुं.मानव सभ्यता के विकास के प्रारंभिक चिन्ह रायगढ मे मौजूद है. रायगढ को शैलचित्रों का घर कहा जाता है. दस दिवसीय संगीत समारोह आयोजित करने वाला देश का एकमात्र शहर रायगढ ही है. यहां की कोशा साडी की मांग देशभर मे है.संगीत सम्राट राजा चक्रधर सिंह यहीं पैदा हुये.आदिवासी बाहुल्य यह जिला छत्तीसगढ का पूर्वी प्रवेश द्वार है.

रायगढ के ७ आश्चर्यों मे मैं मानव निर्मित व नैसर्गिक दोनो आश्चर्यों का उल्लेख कर रहा हूं.

१.सिंघनपुर पहाड-विश्व का प्राचीनतम शैलाश्रय सिंघनपुर की पहाडियों मे स्थित है.यहां प्रागैतिहासिक मानव,शिकार,पशु-पक्षी के चित्र गहरे लाल रंग मे है.पुरातत्ववेत्ता एंडरसन ने सबसे पहले यहाँ शैलचित्रों को देखा.यह रायगढ से २० किलोमीटर दूर भुपदेवपुर के पास स्थित है.
२. पुजारीपाली का विष्णु मंदिर- लाल ईंटॉं से बना गुप्तकालीन विष्णु मंदिर पुजारीपाली मे है.प्राचीनकाल मे शशिनगर के नाम से प्रसिद्ध पुजारीपाली सारंगढ के उत्तर-पूर्व मे सरिया ग्राम के पास है.
३.गोमर्डा अभयारण्य-यह अभयारण्य २७८ किमी क्षेत्र मे फैला है.यंहा तेंदुआ,चीतल,भालू,गौर,मिलते हैं.नैसर्गिक वन,नदी व वनग्राम दर्शनीय है.सारंगढ-सरायपाली मार्ग पर यह अभ्यारण्य स्थित है.
४.ओंगना- धरमजयगढ के पास स्थित ओंगना गांव मे आदिमानव द्वारा चित्रित शैलाश्रय है.

५.रामझरना-नैसर्गिक वनॉं के हरितमा से युक्त यह रायगढ का प्रसिद्ध पिकनिक स्पाट है.यंहा बारहों महीना झरना बहता है.इसका पर्यटन स्थल के रुप मे तेजी से विकास किया जा रहा है.यह रायगढ़ से मात्र १७ किमी दुर है.

६.नाथलदाई मंदिर-महानदी के तट पर नाथलदाई देवी का मंदिर है.यहां श्रद्धालु वर्ष भर देवी माता के दर्शन के लिये आते हैं.महानदी पर यहां सुंदर तटबंध का निर्माण कराया गया है.

७.बोतल्दा-यहां गुप्तकालीन सुर्य मंदिर है.यहां अटल राक गार्डन का निर्माण कराया गया है.रायगढ बिलासपुर मार्ग पर बोतल्दा स्थित है.

5 टिप्‍पणियां:

P.N. Subramanian ने कहा…

जानकारी अच्छी लगी.

दीपक ने कहा…

अ‍उ का कहे जाये बस ....

रयगढ़ हावय सुग्घर तोरे मउरे मुकुट

सरगुजा अउ बिलासपुर हे बंइया

रयपुर कनिहा सही घाते सुग्गर फबय

नांदगांव दुरूग करधनिया

अँचरा तोर डोलावय पुरवइया

जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मँइया

चंद्रहीरा देवांगन ने कहा…

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संगीता पुरी ने कहा…

जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

Anil Pusadkar ने कहा…

आपके ब्लोग पर पहली बार आया अच्छा लगा। आप जब भी रायपुर आयें मुझसे मिलेंगे तो और अच्छा लगेगा।जय छत्तीसगढ्।

बाँटो और राज करो एक अच्छी कहावत है,लेकिन एक होकर आगे बढो इससे भी अच्छी कहावत है-गोथे ।

मै हुँ कौन ?

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दुर्ग के एक छोटे से गाँव मे जन्मा,गाँव की पुष्ट हवा मे पला-बढा। वर्तमान मे जन संपर्क अधिकरी के रुप मे मे । जन और संपर्क की भुमिका को सार्थक करने की कोशीश मे जुडा सरकारी तंत्र का एक अदना मुलाजीम ।

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