गुरुवार, 2 अक्तूबर 2008

गांधी जी की पहली छत्तीसगढ़ यात्रा

महात्मा गांधी अपने जीवनकाल में दो बार छत्तीसगढ़ में आजादी के आंदोलन की अलख जगाने आए.महात्मा गांधी पहिली बार १९२० में ठण्ड के दिनों में छत्तीसगढ़ प्रवास पर थे। महात्मा गाँधी २० दिसम्बर १९२० सोमवार को रायपुर रेलवे स्टेशन पर उतरे। महात्मा गाँधी पं सुन्दरलाल शर्मा के बुलावे पर छत्तीसगढ़ की यात्रा पर आए थे। उस दौर में छत्तीसगढ़ में कंडेल नाहर सत्याग्रह चल रहा था .छत्तीसगढ़ की यात्रा में गांधीजी के साथ मौलाना शौकत अली भी साथ थे.गांधी जी ने उस दिन रायपुर के लोगों को वर्तमान गाँधी चौक के पास संबोधित किया.गाँधी जी ने लोगों से कहा की असहयोग आंदोलन में बढ़चढ़कर हिस्सा लें.

महात्मागांधी अगले दिन २१ दिसंबर मंगलवार को धमतरी और कुरूद सड़क मार्ग से कार द्वारा गए। दिन के ११ बजे धमतरी के मकई चौक में गांधी जी का स्वागत किया गया। महात्मा गाँधी जी जानी हुसैन के बाड़े में भाषण देने के लिए पहुंचे तो उन्हें करीब से एक नज़र देखने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.गांधी जी को भीड़ के कारण मंच तक पहुँचने में असुविधा हो रही थी.एक व्यापारी गाँधीजी को कंधे पर बिठाकर मंच तक पहुंचाया.गांधी जी यंहा घंटा भर जमकर बोले.गांधी जी इस समय असहयोग आन्दोलन को आगे बढ़ाने तिलक स्वराज कोष के अंतर्गत फंड भी एकत्र कर रहे थे। धमतरी के जमीदार बाजीराव कृदंत ने तिलक स्वराज कोष के लिए गांधीजी को ५०१ रुपये भेंट किए।

धमतरी से रायपुर वापसी के दौरान गांधी जी रास्ते में कुरूद के ग्रामीणों से मुलाक़ात की। रायपुर वापस पहुंचकर गांधी जी ब्राह्मण पारा में महिलाओं को संबोधित किया और उन्हें आजादी के आन्दोलन में भाग लेने का आह्वान किया। महात्मागांधी छत्तीसगढ़ के दो दिनों के धुंआधार दौरे के बाद तृतीय श्रेंणी की गाड़ी से नागपुर रवाना हुए जहां उन्हें रास्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होना था.
बाँटो और राज करो एक अच्छी कहावत है,लेकिन एक होकर आगे बढो इससे भी अच्छी कहावत है-गोथे ।

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दुर्ग के एक छोटे से गाँव मे जन्मा,गाँव की पुष्ट हवा मे पला-बढा। वर्तमान मे जन संपर्क अधिकरी के रुप मे मे । जन और संपर्क की भुमिका को सार्थक करने की कोशीश मे जुडा सरकारी तंत्र का एक अदना मुलाजीम ।

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