शुक्रवार, 12 दिसंबर 2008

द रोड एंड रिवर

दुनिया की सभ्यताओं सिन्धु, मेसापोटामिया,नील का विकास नदियों के किनारे हुआ है। दुनिया के सभी बडे शहर नदियों के किनारे बसे हैं। नदी मार्ग काप्राचीन काल से आवागमन के लिये यात्री इस्तेमाल करते रहे हैं।चीनी यात्री ह्वेन्सांग महानदी के तट मार्ग से छत्तीसगढ की प्राचीन राजधानी सिरपुर आये थे. अब ह्वेनसांग के छत्तीसगढ आगमन के 1300 साल बाद नदी तट के जरिये रायगढ मे यातायात को सुगम बनाया जा रहा है.पुर्वांचल की जीवन रेखा केलो नदी ने रायगढ शहर के लोगों को आवागमन की नयी राह दिखायी है.रायगढ शहर मे यातायात की समस्या को दूर करने केलो नदी के तट पर लगभग २ किलोमीटर लंबी सडक बनायी जा रही है.
१) केलो पथ- केलो नदी के तट पर २ किलोमीटर लंबा केलो पथ २ माह के भीतर बनकर तैयार हो तैयार हो जायेगा.केलो पथ के निर्माण मे आधुनिक सडक निर्माण टेक्नालाजी का इस्तेमाल किया जा रहा है.केलो पथ पर जल निकासी की उत्तम व्यवस्था की जा रही है ताकि बारिस के दौरान रोड मजबूत बना रहे.केलो पथ पर प्रकाश की व्यवस्था नदी का खूबसूरत नजारा पेश करेगा.
२) पथ के पुरोधा- महानगरों मे नदियों के तट का उपयोग आवागमन के लिये किया जाता रहा है.लंदन के टेम्स नदी का किनारा पर्यटकों को सहज ही आकर्षित करता है.रायगढ शहर मे यातायात के दबाव को कम करने लोगों के मन मे नदीतटमार्ग पर सडक बनाने का विचार आया.पर कलेक्टर ठाकुर रामसिंह के जिले मे पदस्थ होने के बाद केलो पथ को आकार मिलना शुरु हुआ.
३) पथ व पर्यटन- शहर के मध्य मे कल-कल बह्ती नदी के धारा के साथ २ किमी की सैर लोगो को सुकुन व शांति देगी.सेहत के प्रति सजग लोग सुबह की सैर के लिये केलो पथ पर आयेंगे.नदी के दुसरे किनारे पर स्थित रायगढ के गौरवशाली इतिहास के साक्षी बादल महल की झलक केलो पथ से देखी जा सकेगी.
४) भविष्य की योजना- केलो पथ की परिकल्पना पर क़ांम कर रहे कलेक़्टर ठाकुर रामसिंह कहते है भविष्य मे केलो नदी के दुसरे तट पर भी मार्ग बनाया जा सकता है.यहां चेक डैम बनाकर बारहों महीने नदी मे पानी का प्रवाह बनाये रखा जा सकता है.केलो पथ पर आने वाले सैलानियों के मनोरंजन के लिये नदी मे बोट चलाया जा सकता है.
५) कार्पोरेट सोशियल रिसपांसबिलिटी- केलो पथ के निर्माण मे रायगढ की बडी स्टील कंपनी जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड अपना शहर के प्रति सामाजिक दायित्व का निर्वहन कर रही है.केलो पथ निर्माण की फंडिंग व देखरेख जिंदल स्टील द्वारा की जा रही है.

गुरुवार, 2 अक्तूबर 2008

गांधी जी की पहली छत्तीसगढ़ यात्रा

महात्मा गांधी अपने जीवनकाल में दो बार छत्तीसगढ़ में आजादी के आंदोलन की अलख जगाने आए.महात्मा गांधी पहिली बार १९२० में ठण्ड के दिनों में छत्तीसगढ़ प्रवास पर थे। महात्मा गाँधी २० दिसम्बर १९२० सोमवार को रायपुर रेलवे स्टेशन पर उतरे। महात्मा गाँधी पं सुन्दरलाल शर्मा के बुलावे पर छत्तीसगढ़ की यात्रा पर आए थे। उस दौर में छत्तीसगढ़ में कंडेल नाहर सत्याग्रह चल रहा था .छत्तीसगढ़ की यात्रा में गांधीजी के साथ मौलाना शौकत अली भी साथ थे.गांधी जी ने उस दिन रायपुर के लोगों को वर्तमान गाँधी चौक के पास संबोधित किया.गाँधी जी ने लोगों से कहा की असहयोग आंदोलन में बढ़चढ़कर हिस्सा लें.

महात्मागांधी अगले दिन २१ दिसंबर मंगलवार को धमतरी और कुरूद सड़क मार्ग से कार द्वारा गए। दिन के ११ बजे धमतरी के मकई चौक में गांधी जी का स्वागत किया गया। महात्मा गाँधी जी जानी हुसैन के बाड़े में भाषण देने के लिए पहुंचे तो उन्हें करीब से एक नज़र देखने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.गांधी जी को भीड़ के कारण मंच तक पहुँचने में असुविधा हो रही थी.एक व्यापारी गाँधीजी को कंधे पर बिठाकर मंच तक पहुंचाया.गांधी जी यंहा घंटा भर जमकर बोले.गांधी जी इस समय असहयोग आन्दोलन को आगे बढ़ाने तिलक स्वराज कोष के अंतर्गत फंड भी एकत्र कर रहे थे। धमतरी के जमीदार बाजीराव कृदंत ने तिलक स्वराज कोष के लिए गांधीजी को ५०१ रुपये भेंट किए।

धमतरी से रायपुर वापसी के दौरान गांधी जी रास्ते में कुरूद के ग्रामीणों से मुलाक़ात की। रायपुर वापस पहुंचकर गांधी जी ब्राह्मण पारा में महिलाओं को संबोधित किया और उन्हें आजादी के आन्दोलन में भाग लेने का आह्वान किया। महात्मागांधी छत्तीसगढ़ के दो दिनों के धुंआधार दौरे के बाद तृतीय श्रेंणी की गाड़ी से नागपुर रवाना हुए जहां उन्हें रास्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होना था.

शुक्रवार, 26 सितंबर 2008

रायगढ के सात आश्चर्य


विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष

मानव सभ्यता के विकास के सबसे प्रारंभिक चिन्ह दिखाने के लिये विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर मै आपको रायगढ के ७ आश्चर्यों की सैर कराता हुं.मानव सभ्यता के विकास के प्रारंभिक चिन्ह रायगढ मे मौजूद है. रायगढ को शैलचित्रों का घर कहा जाता है. दस दिवसीय संगीत समारोह आयोजित करने वाला देश का एकमात्र शहर रायगढ ही है. यहां की कोशा साडी की मांग देशभर मे है.संगीत सम्राट राजा चक्रधर सिंह यहीं पैदा हुये.आदिवासी बाहुल्य यह जिला छत्तीसगढ का पूर्वी प्रवेश द्वार है.

रायगढ के ७ आश्चर्यों मे मैं मानव निर्मित व नैसर्गिक दोनो आश्चर्यों का उल्लेख कर रहा हूं.

१.सिंघनपुर पहाड-विश्व का प्राचीनतम शैलाश्रय सिंघनपुर की पहाडियों मे स्थित है.यहां प्रागैतिहासिक मानव,शिकार,पशु-पक्षी के चित्र गहरे लाल रंग मे है.पुरातत्ववेत्ता एंडरसन ने सबसे पहले यहाँ शैलचित्रों को देखा.यह रायगढ से २० किलोमीटर दूर भुपदेवपुर के पास स्थित है.
२. पुजारीपाली का विष्णु मंदिर- लाल ईंटॉं से बना गुप्तकालीन विष्णु मंदिर पुजारीपाली मे है.प्राचीनकाल मे शशिनगर के नाम से प्रसिद्ध पुजारीपाली सारंगढ के उत्तर-पूर्व मे सरिया ग्राम के पास है.
३.गोमर्डा अभयारण्य-यह अभयारण्य २७८ किमी क्षेत्र मे फैला है.यंहा तेंदुआ,चीतल,भालू,गौर,मिलते हैं.नैसर्गिक वन,नदी व वनग्राम दर्शनीय है.सारंगढ-सरायपाली मार्ग पर यह अभ्यारण्य स्थित है.
४.ओंगना- धरमजयगढ के पास स्थित ओंगना गांव मे आदिमानव द्वारा चित्रित शैलाश्रय है.

५.रामझरना-नैसर्गिक वनॉं के हरितमा से युक्त यह रायगढ का प्रसिद्ध पिकनिक स्पाट है.यंहा बारहों महीना झरना बहता है.इसका पर्यटन स्थल के रुप मे तेजी से विकास किया जा रहा है.यह रायगढ़ से मात्र १७ किमी दुर है.

६.नाथलदाई मंदिर-महानदी के तट पर नाथलदाई देवी का मंदिर है.यहां श्रद्धालु वर्ष भर देवी माता के दर्शन के लिये आते हैं.महानदी पर यहां सुंदर तटबंध का निर्माण कराया गया है.

७.बोतल्दा-यहां गुप्तकालीन सुर्य मंदिर है.यहां अटल राक गार्डन का निर्माण कराया गया है.रायगढ बिलासपुर मार्ग पर बोतल्दा स्थित है.

गुरुवार, 25 सितंबर 2008

गैस सिलिंडर के लिए गृहणियों की चिंता दूर


ड़ीएम साहब ने फैसला कर लिया है की रायगढ़ जिले में रसोई गैस होम डिलिवरी के माध्यम से ही दी जायेगी। सिलिंडर के लिए उपभोक्ताओं को रसोई गैस दुकानों में कतार में नही लगना पडेगा । डीएम ठाकुर रामसिंह ने दुकान व गोदाम से रसोई गैस वितरण पर पाबंदी लगा दी है।
डीएम ने हिन्दुस्तान पेट्रोलियम व इंडियन आयल कारपोरेशन के जिले में पदस्थ अधिकारियों को खरी-खरी सुनाते हुए कहा की उपभोक्ताओं के किचन तक गैस पहुंचाना उनकी भी जवाबदेही है। घरेलु रसोई गैस का व्यावसायिक इस्तेमाल रोकने होटल ढाबा व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में छापामार कारवाई करने डीएम ने आदेश भी राजस्व व खाद्य अमले को दिए हैं.

पब्लिक इज किंग बट पब्लिक कौन


लोकतंत्र मे पब्लिक सब जानती है और समझ्ती भी है.लोकतंत्र मे पब्लिक ही असली किंग होता है.जनता जिसे चाहे जमीं प पटके दे और जिसे चाहे आसमा पर बिठादे.लोकतंत्र मे सार्वजनिक जीवन जी रहे लोगों पर लोक विश्वास होना जरुरी है.पर जनता कौन है पहले यही जानना जरुरी है.कई लोग भीड को ही जनता समझ लेते हैं.

वास्तव मे जनता अपने-आप मे आकार रहित,दुर-दुर फैले लोगों का समुह होता है.जो जन संचार माध्यम से एक दुसरे से जुडे होते हैं.भीड मे लोग शारीरिक रुप से नजदीक खडे होते हैं.पर जनता शारीरिक रुप से नही मानसिक रुप से जुडी होती है.भीड का नियंत्रण किया जा सकता है.पर जनता का नही.

जनता के संबोध को हम एक साधारण उदाहरण से समझ सकते हैं.जो लोग क्रिकेट देखने मे रुचि रखते हैं वे एक जनता के सदस्य होंगे.लेकिन इन क्रिकेट मे रुचि रखने वाले लोगों मे सबसे अच्छा खिलाडी सचिन है कि धोनी इस पर मतभेद हो सकता है.एक व्यक्ति कई जनता का सदस्य हो सकता है.पर भीड मे एक व्यक्ति एक समय मे एक ही भीड का हिस्सा हो सकता है.किसी घटना,विषय पर जो लोग समान प्रतिक्रिया करते हैं वे लोग एक जनता के सदस्य होते हैं

डीएम साहब का सांध्य चौपाल


आपसी विवादों के निपटारे के लिये गांवों मे प्रचलित चौपाल का इस्तेमाल रायगढ जिले मे ग्रामीणॉं की समस्याओं के निपटारे मे प्रभावशाली ढंग से किया है। छत्तीसगढ के तेजी से विकसित हो रहे आदिवासी बहुल रायगढ जिले मे दूरदराज के गांवों मे जनकल्याणकारी योजनाओं का जायजा लेने कलेक़्टर ठाकुर रामसिंग ने ग्राम सांध्य चौपाल कार्यक्रम बनाया है.


डीएम साहब का सांध्य चौपाल कार्यक्रम ग्रामीणॉं के बीच बहुत लोकप्रिय है . अधिकारीगण दूरदराज के गांवों मे पहुंचकर संध्याकालीन चौपाल लगाते हैं.और ग्रामीणों से बातचीत कर ग्रामीणॉं की दिक्कत दूर करते हैं.ग्रामीणों के समय और सहूलियत को ध्यान मे रखकर प्रारंभ की गयी सांध्यकालीन चौपाल मे ग्रामीणॉ. की अच्छी भीड उमडती है.दिनभर के कामकाज के बाद ग्रामींण किसान,खेतिहर मजदूर व पंच-सरपंच सांध्य चौपाल मे अपनी समस्याओं को खुलकर डीएम साहब और अधिकारियों के सामने रखते हैं


सांध्यकालीन चौपाल मे ग्रामीण,योजनाओं के संचालन मे ग्राम स्तर पर कमियों को सामने लाते हैं। कई बार योजनाओं की जानकारी ग्रासरुट लेवेल पर ग्रामीणॉं तक नही पहुंच पाती है.इस बात को ध्यान मे रखकर सांध्यकालीन चौपाल मे विभागीय जिला अधिकारी उपस्थित होकर अपने विभाग की शासकीय योजनाओं,गतिविधिओं की विस्तार से जानकारी देते हैं.


डीएम साहब का कहना है कि फील्ड मे सुविधाओं मे कमी को दूर करने गामीणों के साथ उनके समय व सुविधा को ध्यान मे रखकर बेहतर संवाद जरुरी है.कलेक्टर कहते हैं कि दुरदराज के गांवों मे सांध्यचौपाल आयोजित करने से ग्रामीणॉं को अपनी समस्याओं को सामने रखने का अवस मिलता है. व अधिकारियों को जमीनी फीडबैक मिल जाता है.जिससे समस्याओं व शिकायतों के निपटारे मे आसानी होती है.गांवों मे सामाजिक सौहाद्र कायम करने का केंद्र चौपाल शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने मे भी उपयोगी साबित हुआ है.

बैल की भुमिका मरुस्थल के जहाज से कम नही

खेती-किसानी मे बढते यंत्रीकरण के दौर मे छत्तीसगढ के गांवों मे आज भी बैल किसानों के लिये वरदान बना हुआ है.छत्तीसगढ के गांवों मे,खेत-खलिहान मे बैल व किसान के अटूट रिश्ते को देखा जा सकता है.कुंवार के महीने मे किसानों की व्यस्तता फिर बढ गयी है.ग्रामीण अंचल मे सुबह से शाम तक महिलाएं निंदाई मे जुटी हैं.वनांचल के उबड-खाबड जमीन मे खेती करने मे बैलों की भूमिका मरुस्थल के जहाज ऊंट से क्या कम है?

बैल नही होने पर किसानों को खेतों की जुताई,बोंवाई और बियासी मे कई दिक्कतें आती है.व किसान खेती मे पिछड जाता है.धान के पौधों के बढने के बाद किसान परिवार तन्,मन व धन से बियासी मे लग जाते हैं. खेती किसानी मे किसान के लिये बैल जोडी सच्चा सेवक व साथी बन जाता है.धान के पकने के बाद उसकी मिसाई व अनाज के परिवहन मे बैल ही किसान का सहारा होता है.किसानों को उनकी जीतोड मेहनत का लाभ दिलाने व जमीन से सोना उगलने मे बैल की भूमिका क्या कम है?

छोटे व गरीब किसानो के पास इतने पैसे नही होते कि वे खेति-किसानी मे ट्रेक्टर व पावर ट्रिलर जैसे खेती के आधुनिक यंत्रों के इस्तेमाल के बारे मे सोंच भी सके.इस मौसम मे भी छत्तीसगढ के गांवों मे यह देखा जा सकता है कि कैसे किसान बैलों के साथ सुबह से शाम तक मेहनत करते हैं तब जाकर खेतों मे सुनहरी धान की बालियां लहराती है.सदियों से आवागमन के साधन का बीडा उठाये बैल आज भी गांवों मे किसानों का सबसे सच्चा साथी है.

बुधवार, 24 सितंबर 2008

बाढ प्रभावित क्षेत्र से लाईव ब्लागिंग




महानदी मे १९ सितंबर को आये बाढ से प्रभावित ग्रामीण अपने पुनर्वास मे लग गये हैं राहत व बचाव के बाद अब पुनर्वास के लिये राज्य शासन व जिला प्रशासन ने काम शुरु कर दिया है.रायगढ जिले के बाढ प्रभावित क्षेत्र से मैग्रामीणों के पुनर्वास की खबरें सीधे आप तक पहुचाउंगा.

छत्तीसगढ मे १८ सितंबर को भारी बरसात के बाद चित्रोत्पल्ला गंगा मे बाढ आ गयी.छत्तीसगढ की जीवनरेखा ने जिले के महानदी के तटवर्ती गांवों के लोगों को चपेट मे ले लिया.रायगढ जिले के बरमकेला व पुसौर तहसील के सूरजगढ, सिघपुरी, ककईमुहान, परसापाली, चंघोरी, सुरसी, लिप्ती, नदीगांव, विजयपुर गांवों के लोगों को १० राहत शिविरों मे ठहराया गया.राहत शिविर मे लोगों के लिये भोजन,आवास,दवाई की व्यवस्था की गयी.

महानदी के मुहाने पर बसे ककईमुहान के लोग अब बाढ से स्थायी राहत चाहते हैं.पुसौर के छोटे हल्दी गांव मे राहत शिविर मे रह रहे ककईमुहान के लोगों का कहना है कि पीढियों से गांव के लोगों ने बाढ के प्रकोप को झेला है.लेकिन ग्रामीण अब नयी पीढी को बाढ के प्रकोप से बचाना चाहते हैं.बाढ से बचने स्थायी पुनर्वास के लिये गांव वालों ने समाधान खोज लिया है.ककईमुहान के जागरुक युवा बांके बिहारी बहिरदार का कहना है कि ककईमुहान के लोगों ने छोटे हल्दी मे जमीन खरीद कर पिछले साल से मकान बनाना शुरु कर दिया है.कलेक्टर ठाकुर रामसिंह ने ककईमुहान के लोगों के लिये उनके मोहल्ले मे बिजली,सडक,आंगनबाडी की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के आदेश दे दिये हैं.कलेक्टर ने यह भी कहा है कि हाउसिंग बोर्ड यहां आवास की योजना बनाने आयेगी.

मंगलवार, 23 सितंबर 2008

कुछ अपनी

मनके मै चंद्रहीरा देवांगन,शिक्षा-स्नातक ,रहवाशी -रायगढ.मुख्यपता-राजनांदगांव ,एक अदना मुलाजीम हुँ । पेपर वेट और घंटी की ट्रिंग-ट्रिंग से हेवी वेटेट दिन की शुरुवात होती है । गाँवो मे पला-बढा होने के कारण ग्रामीण जीवन से विशेष सरोकार है तथा यह मेरे कार्य का हिस्सा भी है यह बात मुझे कुछ सुकुन देती है । जन संपर्क अधिकारी होने के नाते जन तथा संपर्क दोनो के महत्व को भली-भाँती जानता हुँ।

कभी चित्र,कभी आकडो और कभी लेख,कभी ताजा समाचार के माध्यम से आपको रिझाने की कोशीश रहेगी ,निश्चीत ही आपके एप्रेसीयेसन लेटर से खुश हो जाउंगा किंतु यदि आप कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दे तो उस पर मुझे एतराज नही होगा !मैने अपनी विज्ञप्ती पढ दी है और अब आपके मेमो और सर्कुलर का इंतजार है॥


चंद्रहीरा देवांगन
बाँटो और राज करो एक अच्छी कहावत है,लेकिन एक होकर आगे बढो इससे भी अच्छी कहावत है-गोथे ।

मै हुँ कौन ?

मेरी फ़ोटो
दुर्ग के एक छोटे से गाँव मे जन्मा,गाँव की पुष्ट हवा मे पला-बढा। वर्तमान मे जन संपर्क अधिकरी के रुप मे मे । जन और संपर्क की भुमिका को सार्थक करने की कोशीश मे जुडा सरकारी तंत्र का एक अदना मुलाजीम ।

आयो कहा से घनश्याम

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