गुरुवार, 25 सितंबर 2008

डीएम साहब का सांध्य चौपाल


आपसी विवादों के निपटारे के लिये गांवों मे प्रचलित चौपाल का इस्तेमाल रायगढ जिले मे ग्रामीणॉं की समस्याओं के निपटारे मे प्रभावशाली ढंग से किया है। छत्तीसगढ के तेजी से विकसित हो रहे आदिवासी बहुल रायगढ जिले मे दूरदराज के गांवों मे जनकल्याणकारी योजनाओं का जायजा लेने कलेक़्टर ठाकुर रामसिंग ने ग्राम सांध्य चौपाल कार्यक्रम बनाया है.


डीएम साहब का सांध्य चौपाल कार्यक्रम ग्रामीणॉं के बीच बहुत लोकप्रिय है . अधिकारीगण दूरदराज के गांवों मे पहुंचकर संध्याकालीन चौपाल लगाते हैं.और ग्रामीणों से बातचीत कर ग्रामीणॉं की दिक्कत दूर करते हैं.ग्रामीणों के समय और सहूलियत को ध्यान मे रखकर प्रारंभ की गयी सांध्यकालीन चौपाल मे ग्रामीणॉ. की अच्छी भीड उमडती है.दिनभर के कामकाज के बाद ग्रामींण किसान,खेतिहर मजदूर व पंच-सरपंच सांध्य चौपाल मे अपनी समस्याओं को खुलकर डीएम साहब और अधिकारियों के सामने रखते हैं


सांध्यकालीन चौपाल मे ग्रामीण,योजनाओं के संचालन मे ग्राम स्तर पर कमियों को सामने लाते हैं। कई बार योजनाओं की जानकारी ग्रासरुट लेवेल पर ग्रामीणॉं तक नही पहुंच पाती है.इस बात को ध्यान मे रखकर सांध्यकालीन चौपाल मे विभागीय जिला अधिकारी उपस्थित होकर अपने विभाग की शासकीय योजनाओं,गतिविधिओं की विस्तार से जानकारी देते हैं.


डीएम साहब का कहना है कि फील्ड मे सुविधाओं मे कमी को दूर करने गामीणों के साथ उनके समय व सुविधा को ध्यान मे रखकर बेहतर संवाद जरुरी है.कलेक्टर कहते हैं कि दुरदराज के गांवों मे सांध्यचौपाल आयोजित करने से ग्रामीणॉं को अपनी समस्याओं को सामने रखने का अवस मिलता है. व अधिकारियों को जमीनी फीडबैक मिल जाता है.जिससे समस्याओं व शिकायतों के निपटारे मे आसानी होती है.गांवों मे सामाजिक सौहाद्र कायम करने का केंद्र चौपाल शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने मे भी उपयोगी साबित हुआ है.

1 टिप्पणी:

दीपक ने कहा…

अभिनंदनीय प्रयास !!

बाँटो और राज करो एक अच्छी कहावत है,लेकिन एक होकर आगे बढो इससे भी अच्छी कहावत है-गोथे ।

मै हुँ कौन ?

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दुर्ग के एक छोटे से गाँव मे जन्मा,गाँव की पुष्ट हवा मे पला-बढा। वर्तमान मे जन संपर्क अधिकरी के रुप मे मे । जन और संपर्क की भुमिका को सार्थक करने की कोशीश मे जुडा सरकारी तंत्र का एक अदना मुलाजीम ।

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