दुनिया की सभ्यताओं सिन्धु, मेसापोटामिया,नील का विकास नदियों के किनारे हुआ है। दुनिया के सभी बडे शहर नदियों के किनारे बसे हैं। नदी मार्ग काप्राचीन काल से आवागमन के लिये यात्री इस्तेमाल करते रहे हैं।चीनी यात्री ह्वेन्सांग महानदी के तट मार्ग से छत्तीसगढ की प्राचीन राजधानी सिरपुर आये थे. अब ह्वेनसांग के छत्तीसगढ आगमन के 1300 साल बाद नदी तट के जरिये रायगढ मे यातायात को सुगम बनाया जा रहा है.पुर्वांचल की जीवन रेखा केलो नदी ने रायगढ शहर के लोगों को आवागमन की नयी राह दिखायी है.रायगढ शहर मे यातायात की समस्या को दूर करने केलो नदी के तट पर लगभग २ किलोमीटर लंबी सडक बनायी जा रही है.
१) केलो पथ- केलो नदी के तट पर २ किलोमीटर लंबा केलो पथ २ माह के भीतर बनकर तैयार हो तैयार हो जायेगा.केलो पथ के निर्माण मे आधुनिक सडक निर्माण टेक्नालाजी का इस्तेमाल किया जा रहा है.केलो पथ पर जल निकासी की उत्तम व्यवस्था की जा रही है ताकि बारिस के दौरान रोड मजबूत बना रहे.केलो पथ पर प्रकाश की व्यवस्था नदी का खूबसूरत नजारा पेश करेगा.
२) पथ के पुरोधा- महानगरों मे नदियों के तट का उपयोग आवागमन के लिये किया जाता रहा है.लंदन के टेम्स नदी का किनारा पर्यटकों को सहज ही आकर्षित करता है.रायगढ शहर मे यातायात के दबाव को कम करने लोगों के मन मे नदीतटमार्ग पर सडक बनाने का विचार आया.पर कलेक्टर ठाकुर रामसिंह के जिले मे पदस्थ होने के बाद केलो पथ को आकार मिलना शुरु हुआ.
३) पथ व पर्यटन- शहर के मध्य मे कल-कल बह्ती नदी के धारा के साथ २ किमी की सैर लोगो को सुकुन व शांति देगी.सेहत के प्रति सजग लोग सुबह की सैर के लिये केलो पथ पर आयेंगे.नदी के दुसरे किनारे पर स्थित रायगढ के गौरवशाली इतिहास के साक्षी बादल महल की झलक केलो पथ से देखी जा सकेगी.
४) भविष्य की योजना- केलो पथ की परिकल्पना पर क़ांम कर रहे कलेक़्टर ठाकुर रामसिंह कहते है भविष्य मे केलो नदी के दुसरे तट पर भी मार्ग बनाया जा सकता है.यहां चेक डैम बनाकर बारहों महीने नदी मे पानी का प्रवाह बनाये रखा जा सकता है.केलो पथ पर आने वाले सैलानियों के मनोरंजन के लिये नदी मे बोट चलाया जा सकता है.
५) कार्पोरेट सोशियल रिसपांसबिलिटी- केलो पथ के निर्माण मे रायगढ की बडी स्टील कंपनी जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड अपना शहर के प्रति सामाजिक दायित्व का निर्वहन कर रही है.केलो पथ निर्माण की फंडिंग व देखरेख जिंदल स्टील द्वारा की जा रही है.
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